Medhak ki kahani
बहुत समय पहले की बात है एक मेंढक एक बहुत बड़े कुएँ में रहता था , वह अपने आप को बहुत ही चालक समझता था । लेकिन वह चालक नहीं था , वह जिस कुएँ में रहता था वह बहुत बड़ा था , इसलिए उसको कभी भी दर नहीं लगता था और उसको यही लगता था की पूरी दुनिया अब यही पर है । यहाँ से आगे कुछ भी नहीं है ,लेकिन समय बदलता गया और एक टाइम की बात है की खूब बारिश होने लगी , मेढक बहुत ही खुश था की चलो बारिश हो रही है । लेकिन जब बारिश कुछ और दिन तक होती रही तो मेंढक को चिंता होने लगी की अjब तो कुँवा का पानी भर रहा है । देखते ही देखते कुवे का पानी इतना भर गया की मेढक अपने आप बाहर आ गया और बाढ़ के पानी से बहकर बहुत ही दूर चला गया । जैसे ही वह बाहर आया उसने देखा की यह दुनिया बहुत ही बड़ी है और यहाँ पर बहुत कुछ है , वह यहाँ पर किसी को भी नहीं जानता है । उसको बहुत ही अच्छा लग रहा था , लेकिन साथ में उसको बाहर की दुनिया के बारे में कुछ पता भी नहीं था और वह मन ही मन खूब पछता रहा था की काश मैं भी इस कुवे से बाहर आ कर देख लेता तो सही होता और बहुत कुछ सीख जाता । jitu